ہم اس پیالے کے خالق کو پیار سے "اسپائیڈرمین" کہتے ہیں! شہر مکڑی اور جنگل مکڑی کے مابین ایک بڑا فرق نظر آتا ہے۔ اس نے جنگل میں جو جال بچھایا تھا وہ اتنا مضبوط تھا کہ بڑے کیڑے بھی انھیں توڑ نہیں سکتے تھے۔ اکثر ان کی مہارت اور خوبصورتی انہیں فطرت کا ایک اہم تحفہ دیتے ہیں۔ وہ اپنا کام بڑی توجہ کے ساتھ کررہا ہے۔ ایک لحاظ سے ، وہ ہماری رہنمائی بھی کرتا ہے۔
تاہم ، اتنا چھوٹا ہونے کے باوجود ، اس کے جال کی طاقت زبردست تھی۔ جنگل کے راستے میں ، اس کے ساتھی اور بہت سے دوسرے ایسے خوبصورت پھندے پھینک کر اپنے کھانے کا انتظار کر رہے تھے۔ قدرت نے سب کو کسی نہ کسی مہارت سے نوازا ہے۔ وہ اپنی صلاحیتوں کو بخوبی جانتا ہے۔ انسان کے ساتھ ایسا نہیں ہے۔ کئی سالوں سے ہم اپنی بنیادی صلاحیتوں کو فراموش کر رہے ہیں۔ شاید یہی پیغام دیتے ہوئے وہ جنگل میں بیٹھے انسانوں کے لئے جال بچھائے ہوئے تھے۔
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोस्त्वकर्मणि॥ [A Blog by Tushar Kute]
Wednesday, December 23, 2020
اسپائیڈرمین
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स्पाइडरमैन
अपने सामने घने जंगल को देख कर एक सवाल मन में हमेशा पैदा होता है की, किस रास्ते से अंदर प्रवेश करें? जंगल के ऐसे रास्ते अक्सर धोखेबाज होते हैं। उसी एक रास्ते पर, 'वह' को विभिन्न स्थानों पर जाल डाले बैठा था। हर जगह खूबसूरती से बुना जाल दिखाई दे रहा था। उसे देखते देखते हमने अपना रास्ता बनाना शुरू कर दिया। कभी-कभी यह जाल हमारे माथे और गर्दन को छू जाता था। कभी-कभी यह मुँह में भी चला जाता था! उसमें से एक सुझाव था, बेटा! यह रास्ता सही नहीं है। अर्थात एक मायने में, वह हमारा मार्गदर्शक था। इस सड़क से कोई नहीं जाता है। इसलिए वो सुझाव देना चाहता था कि मैंने यहां एक जाल बिछाया है। इस तरह वो हमें रास्ता खोजने में मदद कर रहा था।
जाल के इस निर्माता को हम प्यार से "स्पाइडरमैन" कहते हैं! शहर की मकड़ी और जंगल की मकड़ी के बीच एक बड़ा अंतर दिखाई देता है। जंगल में उसने जो जाल लगाए थे वे इतने मजबूत थे कि बड़े कीड़े भी उन्हें तोड़ नहीं सकते थे। अक्सर उनकी कौशलता और लालित्य उन्हें प्रकृति का एक महत्वपूर्ण उपहार बनाती है। वह बड़ी एकाग्रता से अपना काम कर रहा है। एक मायने में, वह हमारा मार्गदर्शन भी करता है।
हालांकि इतना छोटा होने के बावजूद भी उसके जाल की ताकत जबरदस्त थी। जंगल के रास्ते में, उनके साथी और कई सगे ऐसे सुंदर जाल फेंक कर अपने भोजन की प्रतीक्षा कर रहे थे। प्रकृति ने सभी को किसी न किसी कौशल से संपन्न किया है। वह अपने कौशल को पूरी तरह से जानता है। आदमी के साथ ऐसा नहीं है। वर्षों से हम अपने बुनियादी कौशल को भूलते जा रहे हैं। संभवत: यही संदेश देते हुए वह जंगल में इंसानों के लिए जाल बिछाकर बैठे थे।
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